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बचपन से ही खजुराहो का नाम सुना था.

खजुराहो की मूर्तियों में जान है, ये सुना था.

जब अपनी आँखों से देखा तो समझ आया,

की जिसने भी ये कहा था, सौ आने सच कहा था!

मंदिर घूमते घूमते ये ध्यान आया,

की जब चंदेल राजवंश ने ये बीड़ा उठाया,

सोच भी नहीं पाए होंगे,

की ऐसा वास्तु कला इतिहास बनाएंगे.

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हम एक कदम न चल पाए खजुराहो में,

बिना इतिहास से टकराए हुए.

हिन्दू और जैन धर्मों के मंदिर,

रह न सके बिना हमें बुलाए हुए.

मंदिरों और उनमें स्तिथ प्रतिमाओं

का एक अलग ही निखार देखा,

जब सूर्योदय और सूर्यास्त पर,

पहली और आखिरी किरणों से उनको नहाये देखा.

चतुर्भुज, लक्ष्मणा और कंदारिया महादेव

हर मंदिर की कहानी हमने जानी है,

पार्वती, नंदी, कई और अनगिनत

हर मंदिर की विशिष्टता हमने मानी है.

पहली नज़र में प्यार सुना था,

उत्तम मूर्तियों में जान सुना था,

मूर्तियों से प्यार हो जाएगा,

जिसने कहा था, सौ आने सच कहा था!

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